उपधि वाक्: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> राजवार्तिक/1/20/12/75/12 </span><span class="SanskritText">... यां वाचं श्रुत्वा परिग्रहार्जनरक्षणादिष्वासज्यते सोपधिवाक्। ...</span> <span class="HindiText">= जिसे सुनकर परिग्रह के अर्जन, रक्षण आदि में आसक्ति उत्पन्न हो वह '''उपधिवाक्''' है। </span> | |||
<p class="HindiText">देखें [[ वचन ]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ उपधि | [[ उपधि | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ उपधित्र | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: उ]] | [[Category: उ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 17:48, 23 January 2023
राजवार्तिक/1/20/12/75/12 ... यां वाचं श्रुत्वा परिग्रहार्जनरक्षणादिष्वासज्यते सोपधिवाक्। ... = जिसे सुनकर परिग्रह के अर्जन, रक्षण आदि में आसक्ति उत्पन्न हो वह उपधिवाक् है।
देखें वचन ।