पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 25 - अर्थ: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="G_HindiText"> | <div class="G_HindiText"> | ||
<p>[चिरं वा क्षिप्रं] 'चिर' अथवा 'क्षिप्र' ऐसा ज्ञान (अधिक काल अथवा अल्पकाल ऐसा ज्ञान) [मात्रारहितं तु] परिमाण बिना (काल के माप बिना) [न अस्ति] नहीं होता;</p> | <p><span class="SansWord">[चिरं वा क्षिप्रं]</span> 'चिर' अथवा 'क्षिप्र' ऐसा ज्ञान (अधिक काल अथवा अल्पकाल ऐसा ज्ञान) <span class="SansWord">[मात्रारहितं तु]</span> परिमाण बिना (काल के माप बिना) <span class="SansWord">[न अस्ति]</span> नहीं होता;</p> | ||
<p>[सा मात्रा अपि] और वह परिमाण [खलु] वास्तव में [पुद्गलद्रव्येण विना] पुद्गलद्रव्य के बिना नहीं होता; [तस्मात्] इसलिये [कालः प्रतीत्यभवः] काल आश्रितरूप से उपजनेवाला है (अर्थात् व्यवहारकाल पर का आश्रय करके उत्पन्न होता है) ।</p> | <p><span class="SansWord">[सा मात्रा अपि]</span> और वह परिमाण <span class="SansWord">[खलु]</span> वास्तव में <span class="SansWord">[पुद्गलद्रव्येण विना]</span> पुद्गलद्रव्य के बिना नहीं होता; <span class="SansWord">[तस्मात्]</span> इसलिये <span class="SansWord">[कालः प्रतीत्यभवः]</span> काल आश्रितरूप से उपजनेवाला है (अर्थात् व्यवहारकाल पर का आश्रय करके उत्पन्न होता है) ।</p> | ||
</div> | </div> |
Latest revision as of 13:16, 30 June 2023
[चिरं वा क्षिप्रं] 'चिर' अथवा 'क्षिप्र' ऐसा ज्ञान (अधिक काल अथवा अल्पकाल ऐसा ज्ञान) [मात्रारहितं तु] परिमाण बिना (काल के माप बिना) [न अस्ति] नहीं होता;
[सा मात्रा अपि] और वह परिमाण [खलु] वास्तव में [पुद्गलद्रव्येण विना] पुद्गलद्रव्य के बिना नहीं होता; [तस्मात्] इसलिये [कालः प्रतीत्यभवः] काल आश्रितरूप से उपजनेवाला है (अर्थात् व्यवहारकाल पर का आश्रय करके उत्पन्न होता है) ।