भवप्रत्यय: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> अवधिज्ञान के दो भेदों में से प्रथम भेद । इसके होने में भव निमित्त होता है । स्वर्ग और नरक में उत्पन्न होने वालों के भी यह ज्ञान होता है । स्वर्ग में ये देव है, ये देवियाँ हैं, यह हमारे तप का फल है आदि भव-संबंधी ज्ञान देवों को इसी से उत्पन्न होता है । <span class="GRef"> महापुराण 5.267-271 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अवधिज्ञान के दो भेदों में से प्रथम भेद । इसके होने में भव निमित्त होता है । स्वर्ग और नरक में उत्पन्न होने वालों के भी यह ज्ञान होता है । स्वर्ग में ये देव है, ये देवियाँ हैं, यह हमारे तप का फल है आदि भव-संबंधी ज्ञान देवों को इसी से उत्पन्न होता है । <span class="GRef"> महापुराण 5.267-271 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: भ]] | [[Category: भ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
अवधिज्ञान के दो भेदों में से प्रथम भेद । इसके होने में भव निमित्त होता है । स्वर्ग और नरक में उत्पन्न होने वालों के भी यह ज्ञान होता है । स्वर्ग में ये देव है, ये देवियाँ हैं, यह हमारे तप का फल है आदि भव-संबंधी ज्ञान देवों को इसी से उत्पन्न होता है । महापुराण 5.267-271