कामदेव: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (1) श्रावस्ती नगरी के श्रेष्ठी कामदत्त के वश में उत्पन्न एक श्रेणी । निमित्तज्ञानियों के निर्देशानुसार इसने अपनी पुत्री बंधुमती का विवाह वसुदेव के साथ किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 29.6-12 </span></br><span class="HindiText">(2) वृषभदेव का एक पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 43.66 </span></br> <span class="HindiText">(3) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में तेरासीवाँ गणधर । <span class="GRef"> महापुराण 43.66 </span>, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.70 </span></br> <span class="HindiText">(4) एक पद । चौबीस व्यक्ति इस पद के धारक थे । उनमें सर्वप्रथम बाहुबलि है । वे अनुपम सौंदर्य के धारक थे । <span class="GRef"> महापुराण 16.9 </span></p> | <span class="HindiText"> (1) श्रावस्ती नगरी के श्रेष्ठी कामदत्त के वश में उत्पन्न एक श्रेणी । निमित्तज्ञानियों के निर्देशानुसार इसने अपनी पुत्री बंधुमती का विवाह वसुदेव के साथ किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_29#6|हरिवंशपुराण - 29.6-12]] </span></br><span class="HindiText">(2) वृषभदेव का एक पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 43.66 </span></br> <span class="HindiText">(3) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में तेरासीवाँ गणधर । <span class="GRef"> महापुराण 43.66 </span>, <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_12#70|हरिवंशपुराण - 12.70]] </span></br> <span class="HindiText">(4) एक पद । चौबीस व्यक्ति इस पद के धारक थे । उनमें सर्वप्रथम बाहुबलि है । वे अनुपम सौंदर्य के धारक थे । <span class="GRef"> महापुराण 16.9 </span></p> | ||
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Latest revision as of 09:21, 5 February 2024
सिद्धांतकोष से
तिलोयपण्णत्ति/4/1472
कालेसु जिणवराणां चउवीसाणां हवंति चउवीसा। ते बाहुबलिप्पमुहा कंदप्पा णिरुवमायारा।1472।
= चौबीस तीर्थंकरों के समयों में अनुपम आकृति के धारक, बाहुबलि प्रमुख 24 कामदेव होते हैं।
देखें शलाका पुरूष - 8.1
पुराणकोष से
(1) श्रावस्ती नगरी के श्रेष्ठी कामदत्त के वश में उत्पन्न एक श्रेणी । निमित्तज्ञानियों के निर्देशानुसार इसने अपनी पुत्री बंधुमती का विवाह वसुदेव के साथ किया था । हरिवंशपुराण - 29.6-12(2) वृषभदेव का एक पुत्र । महापुराण 43.66
(3) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में तेरासीवाँ गणधर । महापुराण 43.66 , हरिवंशपुराण - 12.70
(4) एक पद । चौबीस व्यक्ति इस पद के धारक थे । उनमें सर्वप्रथम बाहुबलि है । वे अनुपम सौंदर्य के धारक थे । महापुराण 16.9