श्रीकांता: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(6 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
सुमेरु पर्वत के नंदनादि वनों में स्थित वापियाँ। - देखें [[ लोक#7 | लोक - 7]]। | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="HindiText">सुमेरु पर्वत के नंदनादि वनों में स्थित वापियाँ। - देखें [[ लोक#7 | लोक - 7]]।</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी के राजा अशोक और रानी श्रीमती की पुत्री । यह जिनदत्ता आर्यिका के पास दीक्षा लेकर और रत्नावली-तप करते हुए देह त्याग करके माहेंद्र स्वर्ग के इंद्र की देवी हुई । <span class="GRef"> महापुराण 71. 393-396, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 68-70 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी के राजा अशोक और रानी श्रीमती की पुत्री । यह जिनदत्ता आर्यिका के पास दीक्षा लेकर और रत्नावली-तप करते हुए देह त्याग करके माहेंद्र स्वर्ग के इंद्र की देवी हुई । <span class="GRef"> महापुराण 71. 393-396, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#68|हरिवंशपुराण - 60.68-70]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) मेरु की पश्चिमोत्तर (वायव्य) दिशा की प्रथम वापी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.344 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) मेरु की पश्चिमोत्तर (वायव्य) दिशा की प्रथम वापी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#344|हरिवंशपुराण - 5.344]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) मथुरा नगरी के सेठ भानु की पुत्रवधु और शूर की पत्नी । यह अंत में दीक्षित हो गयी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.96-99, 127 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) मथुरा नगरी के सेठ भानु की पुत्रवधु और शूर की पत्नी । यह अंत में दीक्षित हो गयी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#96|हरिवंशपुराण - 33.96-99]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#127|127]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) अरिष्टपुर नगर के राजा हिरण्यनाभ की रानी । कृष्ण की पटरानी पद्मावती इसी की पुत्री थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.37-43 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) अरिष्टपुर नगर के राजा हिरण्यनाभ की रानी । कृष्ण की पटरानी पद्मावती इसी की पुत्री थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_44#37|हरिवंशपुराण - 44.37-43]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) हस्तिनापुर के कौरववंशी राजा शूरसेन की रानी । यह तीर्थंकर कुंथुनाथ की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 64.12-13, 22, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 6. 5-7, 28-30 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) हस्तिनापुर के कौरववंशी राजा शूरसेन की रानी । यह तीर्थंकर कुंथुनाथ की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 64.12-13, 22, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 6. 5-7, 28-30 </span></p> | ||
<p id="6">(6) विदेहक्षेत्र के गंधिल देश में स्थित पाटली ग्राम के नागदत्त वैश्य की पुत्री । इसके नंद, नंदिमित्र, नंदिषेण, वरसेन और जयसेन ये पाँच भाई तथा मदनकांता नाम की एक बहिन थी । <span class="GRef"> महापुराण 6. 126-130 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) विदेहक्षेत्र के गंधिल देश में स्थित पाटली ग्राम के नागदत्त वैश्य की पुत्री । इसके नंद, नंदिमित्र, नंदिषेण, वरसेन और जयसेन ये पाँच भाई तथा मदनकांता नाम की एक बहिन थी । <span class="GRef"> महापुराण 6. 126-130 </span></p> | ||
<p id="7">(7) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा वज्रसेन की रानी । वज्रनाभि की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 11. 8-9 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा वज्रसेन की रानी । वज्रनाभि की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 11. 8-9 </span></p> | ||
<p id="8">(8) पूर्व मेरु के पश्चिम विदेहक्षेत्र में सुगंधि देश के श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण की रानी । श्रीवर्मा की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 54. 9-10, 36, 39, 67-68 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) पूर्व मेरु के पश्चिम विदेहक्षेत्र में सुगंधि देश के श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण की रानी । श्रीवर्मा की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 54. 9-10, 36, 39, 67-68 </span></p> | ||
<p id="9">(9) कौशांबी नगरी के राजा महाबल और रानी श्रीमती की पुत्री । इसका विवाह इंद्रसेन से हुआ था । अनंतमति इसकी दासी और उपेंद्रसेन देवर था । <span class="GRef"> महापुराण 62.351 </span>देखें [[ इंद्रसेन ]]</p> | <p id="9" class="HindiText">(9) कौशांबी नगरी के राजा महाबल और रानी श्रीमती की पुत्री । इसका विवाह इंद्रसेन से हुआ था । अनंतमति इसकी दासी और उपेंद्रसेन देवर था । <span class="GRef"> महापुराण 62.351 </span>देखें [[ इंद्रसेन ]]</p> | ||
<p id="10">(10) धातकीखंड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र संबंधी विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित नंदपुर नगर के राजा हरिषेण की रानी । हरिवाहन की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.252-254 </span></p> | <p id="10">(10) धातकीखंड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र संबंधी विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित नंदपुर नगर के राजा हरिषेण की रानी । हरिवाहन की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.252-254 </span></p> | ||
<p id="11">(11) साकेत नगर के राजा श्रीषेण की रानी । हरियाणा और श्रीषेणा इसकी पुत्रियाँ थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.253-254 </span></p> | <p id="11">(11) साकेत नगर के राजा श्रीषेण की रानी । हरियाणा और श्रीषेणा इसकी पुत्रियाँ थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.253-254 </span></p> | ||
<p id="12">(12) सुग्रीव की पाँचवीं पुत्री । राम के भाई भरत की यह भाभी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 47.138, 83. 96 </span></p> | <p id="12">(12) सुग्रीव की पाँचवीं पुत्री । राम के भाई भरत की यह भाभी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_47#138|पद्मपुराण - 47.138]], 83. 96 </span></p> | ||
<p id="13">(13) रावण की रानी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 77.13 </span></p> | <p id="13">(13) रावण की रानी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_77#13|पद्मपुराण - 77.13]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 35: | Line 36: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:03, 2 March 2024
सिद्धांतकोष से
सुमेरु पर्वत के नंदनादि वनों में स्थित वापियाँ। - देखें लोक - 7।
पुराणकोष से
(1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी के राजा अशोक और रानी श्रीमती की पुत्री । यह जिनदत्ता आर्यिका के पास दीक्षा लेकर और रत्नावली-तप करते हुए देह त्याग करके माहेंद्र स्वर्ग के इंद्र की देवी हुई । महापुराण 71. 393-396, हरिवंशपुराण - 60.68-70
(2) मेरु की पश्चिमोत्तर (वायव्य) दिशा की प्रथम वापी । हरिवंशपुराण - 5.344
(3) मथुरा नगरी के सेठ भानु की पुत्रवधु और शूर की पत्नी । यह अंत में दीक्षित हो गयी थी । हरिवंशपुराण - 33.96-99, 127
(4) अरिष्टपुर नगर के राजा हिरण्यनाभ की रानी । कृष्ण की पटरानी पद्मावती इसी की पुत्री थी । हरिवंशपुराण - 44.37-43
(5) हस्तिनापुर के कौरववंशी राजा शूरसेन की रानी । यह तीर्थंकर कुंथुनाथ की जननी थी । महापुराण 64.12-13, 22, पांडवपुराण 6. 5-7, 28-30
(6) विदेहक्षेत्र के गंधिल देश में स्थित पाटली ग्राम के नागदत्त वैश्य की पुत्री । इसके नंद, नंदिमित्र, नंदिषेण, वरसेन और जयसेन ये पाँच भाई तथा मदनकांता नाम की एक बहिन थी । महापुराण 6. 126-130
(7) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा वज्रसेन की रानी । वज्रनाभि की यह जननी थी । महापुराण 11. 8-9
(8) पूर्व मेरु के पश्चिम विदेहक्षेत्र में सुगंधि देश के श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण की रानी । श्रीवर्मा की यह जननी थी । महापुराण 54. 9-10, 36, 39, 67-68
(9) कौशांबी नगरी के राजा महाबल और रानी श्रीमती की पुत्री । इसका विवाह इंद्रसेन से हुआ था । अनंतमति इसकी दासी और उपेंद्रसेन देवर था । महापुराण 62.351 देखें इंद्रसेन
(10) धातकीखंड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र संबंधी विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित नंदपुर नगर के राजा हरिषेण की रानी । हरिवाहन की यह जननी थी । महापुराण 71.252-254
(11) साकेत नगर के राजा श्रीषेण की रानी । हरियाणा और श्रीषेणा इसकी पुत्रियाँ थी । महापुराण 72.253-254
(12) सुग्रीव की पाँचवीं पुत्री । राम के भाई भरत की यह भाभी थी । पद्मपुराण - 47.138, 83. 96
(13) रावण की रानी । पद्मपुराण - 77.13