|
|
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| <p class="HindiText">म.पु./सर्ग/श्लोक=यह अपने पूर्वभव में पुरुरवा नामक एक भील था। मुनिराजों से अणुव्रतों के ग्रहण पूर्वक सौधर्म स्वर्ग में उत्पन्न हुआ। फिर भरत चक्रवर्ती के मरीचि नामक पुत्र हुआ, जिसने मिथ्या मार्ग को चलाया था। तदनन्तर चिरकाल तक भ्रमण कर (६२/८५-९०) राजगृह नगर के राजा विश्वभूति का पुत्र विश्वनन्दि हुआ (५७/७२)। फिर महाशुक्र स्वर्ग में देव हुआ (५७/८२) तत्पश्चात् वर्तमान भव में श्रेयांसनाथ भगवान् के समय में प्रथम नारायण हुए (५७/८६); (८२/९०) विशेष परिचय- देखें - [[ शलाका पुरुष#4 | शलाका पुरुष / ४ ]]। यह वर्धमान भगवान् का पूर्व का दसवा भव है। (७६/५३४-५४३); (७४/२४१-२६०)–देखें - [[ महावीर | महावीर। ]]</p>
| |
|
| |
|
| [[त्रिपुर | Previous Page]] | | #REDIRECT [[त्रिपृष्ठ]] |
| [[त्रिभंगीसार | Next Page]]
| |
| | |
| [[Category:त]]
| |