बालुकाप्रभा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 5: | Line 5: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> तीसरी नरक भूमि । यह रत्नप्रभा और शर्कराप्रभा के नीचे तथा घनोदधि वातवलय के ऊपर अधिष्ठित है । इसका अपर नाम मेघा है । यह अट्ठाईस हजार योजन मोटी, महांधकार से युक्त और दुर्गंधित है । यहाँ नारकियों का आक्रंदन अति तीव्र है । <span class="GRef"> महापुराण 10. 31-32, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_78#62|पद्मपुराण - 78.62]] </span>। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.43-58 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीसरी नरक भूमि । यह रत्नप्रभा और शर्कराप्रभा के नीचे तथा घनोदधि वातवलय के ऊपर अधिष्ठित है । इसका अपर नाम मेघा है । यह अट्ठाईस हजार योजन मोटी, महांधकार से युक्त और दुर्गंधित है । यहाँ नारकियों का आक्रंदन अति तीव्र है । <span class="GRef"> महापुराण 10. 31-32, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_78#62|पद्मपुराण - 78.62]] </span>। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#43|हरिवंशपुराण - 4.43-58]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/3/1/203/8 बालुकाप्रभासहचरिता भूमिर्वालुकाप्रभा । = जिसकी प्रभा बालुका की प्रभा के समान है, वह बालुका प्रभा है । (इसका नाम सार्थक है); ( तिलोयपण्णत्ति/2/21 ); ( राजवार्तिक/3/1/3/158/18 ) ।
बालुकाप्रभा पृथिवी का आकार व अवस्थान - देखें नरक - 5.11 ।
पुराणकोष से
तीसरी नरक भूमि । यह रत्नप्रभा और शर्कराप्रभा के नीचे तथा घनोदधि वातवलय के ऊपर अधिष्ठित है । इसका अपर नाम मेघा है । यह अट्ठाईस हजार योजन मोटी, महांधकार से युक्त और दुर्गंधित है । यहाँ नारकियों का आक्रंदन अति तीव्र है । महापुराण 10. 31-32, पद्मपुराण - 78.62 । हरिवंशपुराण - 4.43-58