जय श्री ऋषभ जिनंदा! नाश तौ करो स्वामी मेरे दुखदंदा: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: जय श्री ऋषभ जिनंदा! नाश तौ करो स्वामी मेरे दुखदंदा ।।टेक. ।।<br> मातु मरुदे...) |
No edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:दौलतरामजी]] | [[Category:दौलतरामजी]] | ||
[[Category: देव भक्ति ]] |
Revision as of 03:24, 16 February 2008
जय श्री ऋषभ जिनंदा! नाश तौ करो स्वामी मेरे दुखदंदा ।।टेक. ।।
मातु मरुदेवी प्यारे, पिता नाभिके दुलारे ।
वंश तो इक्ष्वाक, जैसे नभवीच चंदा।।१ ।।जय श्री. ।।
कनक वरन तन, मोहत भविक जन ।
रवि शशि कोटि लाजैं, लाजै मकरन्दा।।२ ।।जय श्री. ।।
दोष तौ अठारा नासे, गुन छियालीस भासे ।
अष्ट-कर्म काट स्वामी, भये निरफंदा।।३ ।।जय श्री. ।।
चार ज्ञानधारी गनी, पार नाहिं पावै मुनी ।
`दौलत' नमत सुख चाहत अमंदा।।४ ।।जय श्री. ।।