वज्रांक: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक विद्याधर राजा । यह नमि विद्याधर के वंशज वज्रबाहु का पुत्र और वज्रसुन्दर का पिता था । पद्मपुराण 5-.19, हरिवंशपुराण 13.23, देखें [[ वज्रसंज्ञ ]]</p> | <p id="1"> (1) एक विद्याधर राजा । यह नमि विद्याधर के वंशज वज्रबाहु का पुत्र और वज्रसुन्दर का पिता था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5-.19, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 13.23, </span>देखें [[ वज्रसंज्ञ ]]</p> | ||
<p id="2">(2) अयोध्या का एक धनिक । इसकी प्रिया का नाम मकरी था । इसके दो पुत्र थे― अशोक और तिलक । इसने मुनि द्युति से दीक्षा धारण कर ली थी तथा इसके दोनों पुत्र भी पिता के दीक्षागुरु से दीक्षित हो गये थे । मुनि वृत्ति के समाधिस्थ हो जाने के पश्चात् अपने दोनों पुत्रों के साथ इसने ताम्रचूडपुर की ओर विहार किया था । पिता और दोनों पुत्र ये तीनों मुनि निश्चित स्थान तक नहीं पहुँच पाये थे कि चातुर्मास का समय आरम्भ हो जाने से इन्हें एक वृक्ष के नीचे ही ठहर जाना पड़ा था । भामण्डल ने इन तीनों मुनियों की बन में आहार व्यवस्था की थी । भामण्डल मरकर इस व्यवस्था के फलस्वरूप सुमेरु पर्वत के दक्षिण में देवकुरू नामक उत्तर भोगभूमि में उत्पन्न हुआ था । पद्मपुराण 123.86-145</p> | <p id="2">(2) अयोध्या का एक धनिक । इसकी प्रिया का नाम मकरी था । इसके दो पुत्र थे― अशोक और तिलक । इसने मुनि द्युति से दीक्षा धारण कर ली थी तथा इसके दोनों पुत्र भी पिता के दीक्षागुरु से दीक्षित हो गये थे । मुनि वृत्ति के समाधिस्थ हो जाने के पश्चात् अपने दोनों पुत्रों के साथ इसने ताम्रचूडपुर की ओर विहार किया था । पिता और दोनों पुत्र ये तीनों मुनि निश्चित स्थान तक नहीं पहुँच पाये थे कि चातुर्मास का समय आरम्भ हो जाने से इन्हें एक वृक्ष के नीचे ही ठहर जाना पड़ा था । भामण्डल ने इन तीनों मुनियों की बन में आहार व्यवस्था की थी । भामण्डल मरकर इस व्यवस्था के फलस्वरूप सुमेरु पर्वत के दक्षिण में देवकुरू नामक उत्तर भोगभूमि में उत्पन्न हुआ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 123.86-145 </span></p> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
(1) एक विद्याधर राजा । यह नमि विद्याधर के वंशज वज्रबाहु का पुत्र और वज्रसुन्दर का पिता था । पद्मपुराण 5-.19, हरिवंशपुराण 13.23, देखें वज्रसंज्ञ
(2) अयोध्या का एक धनिक । इसकी प्रिया का नाम मकरी था । इसके दो पुत्र थे― अशोक और तिलक । इसने मुनि द्युति से दीक्षा धारण कर ली थी तथा इसके दोनों पुत्र भी पिता के दीक्षागुरु से दीक्षित हो गये थे । मुनि वृत्ति के समाधिस्थ हो जाने के पश्चात् अपने दोनों पुत्रों के साथ इसने ताम्रचूडपुर की ओर विहार किया था । पिता और दोनों पुत्र ये तीनों मुनि निश्चित स्थान तक नहीं पहुँच पाये थे कि चातुर्मास का समय आरम्भ हो जाने से इन्हें एक वृक्ष के नीचे ही ठहर जाना पड़ा था । भामण्डल ने इन तीनों मुनियों की बन में आहार व्यवस्था की थी । भामण्डल मरकर इस व्यवस्था के फलस्वरूप सुमेरु पर्वत के दक्षिण में देवकुरू नामक उत्तर भोगभूमि में उत्पन्न हुआ था । पद्मपुराण 123.86-145