सम्यग्दृष्टि: Difference between revisions
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Revision as of 16:30, 5 July 2020
स्वत: अथवा परोपदेश के द्वारा भक्तिपूर्वक तत्वार्थ में श्रद्धा रखने वाला जीव । सम्यग्दृष्टि ही कर्मों की निर्जरा करके संसार से मुक्त होता है । पद्मपुराण 26.103, 105.212, 244