ह्रीमन्य: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> | <div class="HindiText"> <p id="1"> विद्याओं की साधना के लिए प्रसिद्ध तथा संजयंत मुनि की प्रतिमा से युक्त एक पर्वत । हिरण्यरोम तापस यहीं का निवासी था । यहाँ पांच नदियों का संगम है । वसुदेव ने यहाँ बालचंद्रा नामक कन्या को नागपाश से छुड़ाया था । धरणेंद्र के संकेतानुसार विद्याधरों ने संजयंत मुनि की पांच सौ धनुष ऊँची प्रतिमा स्थापित करके यहीं अपनी गयी हुई विद्याएँ पुन: प्राप्त की थीं । विद्याओं के हर जाने से इस पर्वत पर लज्जित होकर नीचा मस्तक किए हुए विद्याधरों के बैठने से यह पर्वत इस नाम से प्रसिद्ध हुआ । <span class="GRef"> (महापुराण 62.274) </span><span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 21.24-25, 26, 45-48, 27.128-134) </span></p> | ||
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Revision as of 08:06, 22 June 2023
विद्याओं की साधना के लिए प्रसिद्ध तथा संजयंत मुनि की प्रतिमा से युक्त एक पर्वत । हिरण्यरोम तापस यहीं का निवासी था । यहाँ पांच नदियों का संगम है । वसुदेव ने यहाँ बालचंद्रा नामक कन्या को नागपाश से छुड़ाया था । धरणेंद्र के संकेतानुसार विद्याधरों ने संजयंत मुनि की पांच सौ धनुष ऊँची प्रतिमा स्थापित करके यहीं अपनी गयी हुई विद्याएँ पुन: प्राप्त की थीं । विद्याओं के हर जाने से इस पर्वत पर लज्जित होकर नीचा मस्तक किए हुए विद्याधरों के बैठने से यह पर्वत इस नाम से प्रसिद्ध हुआ । (महापुराण 62.274) (हरिवंशपुराण 21.24-25, 26, 45-48, 27.128-134)