शैलकर्म: Difference between revisions
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<span class="GRef"> षट्खंडागम 9/4,1/ सूत्र52/248</span> <span class="PrakritText">जा सा ठवणकदी णाम सा कट्ठकम्मेसु वा चित्तकम्मेसु वा पोत्तकम्मेसु वा लेप्पकम्मेसु वा लेण्णकम्मेसु वा सेलकम्मेसु वा गिहकम्मेसु वा भित्तिकम्मेसु वा दंतकम्मेसु वा भेंडकम्मेसु वा अक्खो वा वराडओ वा जे चामण्णे एवमादिया ठवणाए ठविज्जंति कदि त्ति सा सव्वा ठवण कदी णाम।52।</span>=<span class="HindiText">जो वह स्थापनाकृति है वह काष्ठकर्मों में, अथवा चित्रकर्मों में, अथवा पोतकर्मों में, अथवा लेप्यकर्मों में, अथवा लयनकर्मों में, अथवा '''शैलकर्मों''' में, अथवा गृहकर्मों में, अथवा भित्तिकर्मों में, अथवा दंतकर्मों में, अथवा भेंडकर्मों में, अथवा अक्ष या वराटक (कौड़ी व शतरंज का पासा); तथा इनको आदि लेकर अन्य भी जो ‘कृति’ इस प्रकार स्थापना में स्थापित किये जाते हैं, वह सब स्थापना कृति कही जाती है। <strong>नोट</strong>–(धवला में सर्वत्र प्रत्येक विषय में इसी प्रकार निक्षेप किये गये हैं।) | <span class="GRef"> षट्खंडागम 9/4,1/ सूत्र52/248</span> <span class="PrakritText">जा सा ठवणकदी णाम सा कट्ठकम्मेसु वा चित्तकम्मेसु वा पोत्तकम्मेसु वा लेप्पकम्मेसु वा लेण्णकम्मेसु वा सेलकम्मेसु वा गिहकम्मेसु वा भित्तिकम्मेसु वा दंतकम्मेसु वा भेंडकम्मेसु वा अक्खो वा वराडओ वा जे चामण्णे एवमादिया ठवणाए ठविज्जंति कदि त्ति सा सव्वा ठवण कदी णाम।52।</span>=<span class="HindiText">जो वह स्थापनाकृति है वह काष्ठकर्मों में, अथवा चित्रकर्मों में, अथवा पोतकर्मों में, अथवा लेप्यकर्मों में, अथवा लयनकर्मों में, अथवा '''शैलकर्मों''' में, अथवा गृहकर्मों में, अथवा भित्तिकर्मों में, अथवा दंतकर्मों में, अथवा भेंडकर्मों में, अथवा अक्ष या वराटक (कौड़ी व शतरंज का पासा); तथा इनको आदि लेकर अन्य भी जो ‘कृति’ इस प्रकार स्थापना में स्थापित किये जाते हैं, वह सब स्थापना कृति कही जाती है। <strong>नोट</strong>–(धवला में सर्वत्र प्रत्येक विषय में इसी प्रकार निक्षेप किये गये हैं।) <span class="GRef">( षट्खंडागम 13/5,3/ सूत्र10/9)</span>, <span class="GRef">( षट्खंडागम ,14/5,6/ सूत्र 9/5)</span></span> | ||
<span class="GRef"> धवला 9/4,1,52/249/3 </span><span class="PrakritText"> ...सेलो पत्थरो, तम्हि घडिदपडिमाओ सेलकम्मं...</span> <span class="HindiText"> ...शैल का अर्थ पत्थर है, उसमें निर्मित प्रतिमाओं का नाम '''शैलकर्म''' है।...</span> | <span class="GRef"> धवला 9/4,1,52/249/3 </span><span class="PrakritText"> ...सेलो पत्थरो, तम्हि घडिदपडिमाओ सेलकम्मं...</span> <span class="HindiText"> ...शैल का अर्थ पत्थर है, उसमें निर्मित प्रतिमाओं का नाम '''शैलकर्म''' है।...</span> |
Latest revision as of 22:35, 17 November 2023
षट्खंडागम 9/4,1/ सूत्र52/248 जा सा ठवणकदी णाम सा कट्ठकम्मेसु वा चित्तकम्मेसु वा पोत्तकम्मेसु वा लेप्पकम्मेसु वा लेण्णकम्मेसु वा सेलकम्मेसु वा गिहकम्मेसु वा भित्तिकम्मेसु वा दंतकम्मेसु वा भेंडकम्मेसु वा अक्खो वा वराडओ वा जे चामण्णे एवमादिया ठवणाए ठविज्जंति कदि त्ति सा सव्वा ठवण कदी णाम।52।=जो वह स्थापनाकृति है वह काष्ठकर्मों में, अथवा चित्रकर्मों में, अथवा पोतकर्मों में, अथवा लेप्यकर्मों में, अथवा लयनकर्मों में, अथवा शैलकर्मों में, अथवा गृहकर्मों में, अथवा भित्तिकर्मों में, अथवा दंतकर्मों में, अथवा भेंडकर्मों में, अथवा अक्ष या वराटक (कौड़ी व शतरंज का पासा); तथा इनको आदि लेकर अन्य भी जो ‘कृति’ इस प्रकार स्थापना में स्थापित किये जाते हैं, वह सब स्थापना कृति कही जाती है। नोट–(धवला में सर्वत्र प्रत्येक विषय में इसी प्रकार निक्षेप किये गये हैं।) ( षट्खंडागम 13/5,3/ सूत्र10/9), ( षट्खंडागम ,14/5,6/ सूत्र 9/5)
धवला 9/4,1,52/249/3 ...सेलो पत्थरो, तम्हि घडिदपडिमाओ सेलकम्मं... ...शैल का अर्थ पत्थर है, उसमें निर्मित प्रतिमाओं का नाम शैलकर्म है।...
और जानकारी के लिये देखें निक्षेप_4।