विक्रमादित्य: Difference between revisions
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<li>मालवा (मगध) के राजा थे। इनके नाम पर ही इनकी मृत्यु के पश्चात् प्रसिद्ध विक्रमादित्य संवत् प्रचलित हुआ था। इनकी आयु ८० वर्ष की थी। १८ वर्ष की आयु में राज्याभिषेक हुआ और ६० वर्ष पर्यन्त इनका राज्य रहा। (विशेष | <li>मालवा (मगध) के राजा थे। इनके नाम पर ही इनकी मृत्यु के पश्चात् प्रसिद्ध विक्रमादित्य संवत् प्रचलित हुआ था। इनकी आयु ८० वर्ष की थी। १८ वर्ष की आयु में राज्याभिषेक हुआ और ६० वर्ष पर्यन्त इनका राज्य रहा। (विशेष देखें - [[ इतिहास#2 | इतिहास / २ ]]/विक्रम संवत्) तथा (इतिहास/३/मगध देश के राज्यवंश)। </li> | ||
<li>मगध देश की राज्य वंशावली के अनुसार गुप्तवंश के तीसरे राजा चन्द्रगुप्त का अपर नाम था। यह विद्वानों का बड़ा सत्कार करता था। भारत का प्रसिद्ध कवि शकुन्तला नाटककार कालिदास इसी के दरबार का रत्न | <li>मगध देश की राज्य वंशावली के अनुसार गुप्तवंश के तीसरे राजा चन्द्रगुप्त का अपर नाम था। यह विद्वानों का बड़ा सत्कार करता था। भारत का प्रसिद्ध कवि शकुन्तला नाटककार कालिदास इसी के दरबार का रत्न था।– देखें - [[ इतिहास#3.3 | इतिहास / ३ / ३ ]]। </li> | ||
<li>चीनी यात्री ह्यूनत्सांग (ई.६२९) कहता है कि उसके भारत आने से ६० वर्ष पूर्व यहाँ इस नाम का कोई राजा राज्य करता था। तदनुसार उसका समय ई.५०५-५८७ आता है। </li> | <li>चीनी यात्री ह्यूनत्सांग (ई.६२९) कहता है कि उसके भारत आने से ६० वर्ष पूर्व यहाँ इस नाम का कोई राजा राज्य करता था। तदनुसार उसका समय ई.५०५-५८७ आता है। </li> | ||
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Revision as of 15:26, 6 October 2014
- मालवा (मगध) के राजा थे। इनके नाम पर ही इनकी मृत्यु के पश्चात् प्रसिद्ध विक्रमादित्य संवत् प्रचलित हुआ था। इनकी आयु ८० वर्ष की थी। १८ वर्ष की आयु में राज्याभिषेक हुआ और ६० वर्ष पर्यन्त इनका राज्य रहा। (विशेष देखें - इतिहास / २ /विक्रम संवत्) तथा (इतिहास/३/मगध देश के राज्यवंश)।
- मगध देश की राज्य वंशावली के अनुसार गुप्तवंश के तीसरे राजा चन्द्रगुप्त का अपर नाम था। यह विद्वानों का बड़ा सत्कार करता था। भारत का प्रसिद्ध कवि शकुन्तला नाटककार कालिदास इसी के दरबार का रत्न था।– देखें - इतिहास / ३ / ३ ।
- चीनी यात्री ह्यूनत्सांग (ई.६२९) कहता है कि उसके भारत आने से ६० वर्ष पूर्व यहाँ इस नाम का कोई राजा राज्य करता था। तदनुसार उसका समय ई.५०५-५८७ आता है।