चन्द्रप्रज्ञप्ति: Difference between revisions
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<p> दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसम्पदा का वर्णन है । हरिवंशपुराण 10.61-63</p> | <p> दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसम्पदा का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.61-63 </span></p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसम्पदा का वर्णन है । हरिवंशपुराण 10.61-63