देवर्षि: Difference between revisions
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<p> एक नारद । यह ब्रह्मरुचि ब्राह्मण और ब्राह्मणी कूर्मी का पुत्र था । यह माता-पिता की तापस-अवस्था में गर्भ में आया था । निर्ग्रन्थ-मुनि द्वारा सम्बोधे जाने पर इसके पिता ने तो दिसम्बर दीक्षा से ली थी किन्तु इसके गर्भ में होने से माता दीक्षित न हो सकी थी । उसने दसवें मास में इसे वन में जन्मा था । अन्त में इसे वन में छोड़कर वह आर्यिका हुई । | <p> एक नारद । यह ब्रह्मरुचि ब्राह्मण और ब्राह्मणी कूर्मी का पुत्र था । यह माता-पिता की तापस-अवस्था में गर्भ में आया था । निर्ग्रन्थ-मुनि द्वारा सम्बोधे जाने पर इसके पिता ने तो दिसम्बर दीक्षा से ली थी किन्तु इसके गर्भ में होने से माता दीक्षित न हो सकी थी । उसने दसवें मास में इसे वन में जन्मा था । अन्त में इसे वन में छोड़कर वह आर्यिका हुई । जुम्बक देव ने इसे पाला और पढ़ाया था । विद्वान् होने पर इसने आकाशगामिनी-विद्या प्राप्त की थी । इसने अणुव्रत धारण किये । क्षुल्लक का चारित्र प्राप्त करके जटाओं को धारण करता हुआ यह न गृहस्थ रहा न मुनि किन्तु देवों द्वारा पालन-पोषण किये जाने से यह देवों के समान चेष्टावान् विद्याओं से प्रकाशमान और इस नाम से प्रसिद्ध हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 11. 117-158 </span></p> | ||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
एक नारद । यह ब्रह्मरुचि ब्राह्मण और ब्राह्मणी कूर्मी का पुत्र था । यह माता-पिता की तापस-अवस्था में गर्भ में आया था । निर्ग्रन्थ-मुनि द्वारा सम्बोधे जाने पर इसके पिता ने तो दिसम्बर दीक्षा से ली थी किन्तु इसके गर्भ में होने से माता दीक्षित न हो सकी थी । उसने दसवें मास में इसे वन में जन्मा था । अन्त में इसे वन में छोड़कर वह आर्यिका हुई । जुम्बक देव ने इसे पाला और पढ़ाया था । विद्वान् होने पर इसने आकाशगामिनी-विद्या प्राप्त की थी । इसने अणुव्रत धारण किये । क्षुल्लक का चारित्र प्राप्त करके जटाओं को धारण करता हुआ यह न गृहस्थ रहा न मुनि किन्तु देवों द्वारा पालन-पोषण किये जाने से यह देवों के समान चेष्टावान् विद्याओं से प्रकाशमान और इस नाम से प्रसिद्ध हुआ । पद्मपुराण 11. 117-158