भूमिदान: Difference between revisions
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<p> देय विविध वस्तुओं में एक वस्तु-भू-खण्ड । तत्त्व-वेत्ताओं ने प्राणिघात का निमित्त होने से इसे निंद्य कहा है परन्तु जिन-मन्दिर आदि के लिए दिये गये दान को उन्होंने निद्य नहीं कहा अपितु इसे दीर्घकाल तक स्थिर रहनेवाले भोगों का प्रदाता माना है । पद्मपुराण 14. 73-75, 78</p> | <p> देय विविध वस्तुओं में एक वस्तु-भू-खण्ड । तत्त्व-वेत्ताओं ने प्राणिघात का निमित्त होने से इसे निंद्य कहा है परन्तु जिन-मन्दिर आदि के लिए दिये गये दान को उन्होंने निद्य नहीं कहा अपितु इसे दीर्घकाल तक स्थिर रहनेवाले भोगों का प्रदाता माना है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 14. 73-75, 78 </span></p> | ||
Revision as of 21:45, 5 July 2020
देय विविध वस्तुओं में एक वस्तु-भू-खण्ड । तत्त्व-वेत्ताओं ने प्राणिघात का निमित्त होने से इसे निंद्य कहा है परन्तु जिन-मन्दिर आदि के लिए दिये गये दान को उन्होंने निद्य नहीं कहा अपितु इसे दीर्घकाल तक स्थिर रहनेवाले भोगों का प्रदाता माना है । पद्मपुराण 14. 73-75, 78