कवलचंद्रायण व्रत: Difference between revisions
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किसी भी मास की कृ0 15 को उपवास इससे आगे पडिमा को एक ग्रास, आगे प्रतिदिन एक-एक ग्रास की वृद्धि से चतुर्दशी को 14 ग्रास। पूर्णमा को पुन: उपवास। इससे आगे उलटा क्रम अर्थात् कृ0 1 को 14 ग्रास, फिर एक-एक ग्रास की प्रति दिन हानि से कृ0 14 को 1 ग्रास और अमावस्या को उपवास। इस प्रकार पूरे 1 महीने तक लगातार करे। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। ( | किसी भी मास की कृ0 15 को उपवास इससे आगे पडिमा को एक ग्रास, आगे प्रतिदिन एक-एक ग्रास की वृद्धि से चतुर्दशी को 14 ग्रास। पूर्णमा को पुन: उपवास। इससे आगे उलटा क्रम अर्थात् कृ0 1 को 14 ग्रास, फिर एक-एक ग्रास की प्रति दिन हानि से कृ0 14 को 1 ग्रास और अमावस्या को उपवास। इस प्रकार पूरे 1 महीने तक लगातार करे। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। ( हरिवंशपुराण/34/91 ) (व्रत-विधान संग्रह/पृ0 98) (किशनचन्द्र क्रियाकोश)। | ||
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Revision as of 19:09, 17 July 2020
किसी भी मास की कृ0 15 को उपवास इससे आगे पडिमा को एक ग्रास, आगे प्रतिदिन एक-एक ग्रास की वृद्धि से चतुर्दशी को 14 ग्रास। पूर्णमा को पुन: उपवास। इससे आगे उलटा क्रम अर्थात् कृ0 1 को 14 ग्रास, फिर एक-एक ग्रास की प्रति दिन हानि से कृ0 14 को 1 ग्रास और अमावस्या को उपवास। इस प्रकार पूरे 1 महीने तक लगातार करे। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। ( हरिवंशपुराण/34/91 ) (व्रत-विधान संग्रह/पृ0 98) (किशनचन्द्र क्रियाकोश)।