नद्युष: Difference between revisions
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<p id="2">(2) सुकोशल मुनि का पोता । यह राजा हिरण्यगर्भ और उसकी रानी अमृतवती का पुत्र था । उसके गर्भ काल में पृथ्वी पर कोई अशुभ शब्द सुनाई न पड़ने से वह इस नाम से प्रसिद्ध हुआ इसने उत्तर दिशा को और इसकी रानी सिंहिका ने दक्षिण दिशा को वश में किया था । रानी की इस विजय से कुपित होकर यह उससे विरक्त हो गया था । इसने उसे महादेवी के पद से हटा दिया था । इसे एक समय दाहज्वर हुआ तब रानी सिंहिका ने अपने सतीत्व से करपुट द्वारा गृहीत जल-सिंचन कर इसकी उत्पन्न दाह-स्वर वेदना को | <p id="2">(2) सुकोशल मुनि का पोता । यह राजा हिरण्यगर्भ और उसकी रानी अमृतवती का पुत्र था । उसके गर्भ काल में पृथ्वी पर कोई अशुभ शब्द सुनाई न पड़ने से वह इस नाम से प्रसिद्ध हुआ इसने उत्तर दिशा को और इसकी रानी सिंहिका ने दक्षिण दिशा को वश में किया था । रानी की इस विजय से कुपित होकर यह उससे विरक्त हो गया था । इसने उसे महादेवी के पद से हटा दिया था । इसे एक समय दाहज्वर हुआ तब रानी सिंहिका ने अपने सतीत्व से करपुट द्वारा गृहीत जल-सिंचन कर इसकी उत्पन्न दाह-स्वर वेदना को शांत किया । रानी के इस कार्य से प्रसन्न होकर इसने उसे महादेवी के पद पर पुन: प्रतिष्ठित किया । अंत में इसी सिंहिका रानी से उत्पन्न पुत्र को राज्य देकर वह दीक्षित हो गया था । समस्त शत्रुओं को वश में कर लेने से यह सुदास नाम से विख्यात हो गया था इसीलिए इसका पुत्र सोदास कहलाया । <span class="GRef"> पद्मपुराण 22.101-131 </span></p> | ||
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Revision as of 16:26, 19 August 2020
(1) राजा भरत के साथ दीक्षित विशुद्ध कुलोत्पन्न एक राजा । पद्मपुराण 88.6
(2) सुकोशल मुनि का पोता । यह राजा हिरण्यगर्भ और उसकी रानी अमृतवती का पुत्र था । उसके गर्भ काल में पृथ्वी पर कोई अशुभ शब्द सुनाई न पड़ने से वह इस नाम से प्रसिद्ध हुआ इसने उत्तर दिशा को और इसकी रानी सिंहिका ने दक्षिण दिशा को वश में किया था । रानी की इस विजय से कुपित होकर यह उससे विरक्त हो गया था । इसने उसे महादेवी के पद से हटा दिया था । इसे एक समय दाहज्वर हुआ तब रानी सिंहिका ने अपने सतीत्व से करपुट द्वारा गृहीत जल-सिंचन कर इसकी उत्पन्न दाह-स्वर वेदना को शांत किया । रानी के इस कार्य से प्रसन्न होकर इसने उसे महादेवी के पद पर पुन: प्रतिष्ठित किया । अंत में इसी सिंहिका रानी से उत्पन्न पुत्र को राज्य देकर वह दीक्षित हो गया था । समस्त शत्रुओं को वश में कर लेने से यह सुदास नाम से विख्यात हो गया था इसीलिए इसका पुत्र सोदास कहलाया । पद्मपुराण 22.101-131