पांडुकंबला: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page पाण्डुकम्बला to पांडुकंबला: RemoveFifthCharsTitles) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> सुमेरु पर्वत के शिखर पर स्थित | <p> सुमेरु पर्वत के शिखर पर स्थित पांडुक वन की एक शिला । यह रजतमयी, अर्द्धचंद्राकार, आठ योजन ऊँची, सौ योजन योजन लंबी और पचास योजन चौड़ी है । इसकी लंबाई दक्षिणोत्तर दिशा में है । इस शिला पर पाँच सौ धनुष ऊँचे तथा इतने ही चौड़े रत्नमयी तीन पूर्वमुखी सिंहासन बने हुए है । इनमें दक्षिण सिंहासन सौधर्मेंद्र का, उत्तर सिंहासन जिनेंद्र देव का होता है । जंबूद्वीप में उत्पन्न हुए तीर्थंकरों का जन्माभिषेक इसी शिला पर किया जाता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 175-176, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.347-352 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ पांडुक | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ पांडुकंबलाशिला | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] |
Revision as of 16:28, 19 August 2020
सुमेरु पर्वत के शिखर पर स्थित पांडुक वन की एक शिला । यह रजतमयी, अर्द्धचंद्राकार, आठ योजन ऊँची, सौ योजन योजन लंबी और पचास योजन चौड़ी है । इसकी लंबाई दक्षिणोत्तर दिशा में है । इस शिला पर पाँच सौ धनुष ऊँचे तथा इतने ही चौड़े रत्नमयी तीन पूर्वमुखी सिंहासन बने हुए है । इनमें दक्षिण सिंहासन सौधर्मेंद्र का, उत्तर सिंहासन जिनेंद्र देव का होता है । जंबूद्वीप में उत्पन्न हुए तीर्थंकरों का जन्माभिषेक इसी शिला पर किया जाता है । पद्मपुराण 3. 175-176, हरिवंशपुराण 5.347-352