हेमचंद: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
(No difference)
|
Revision as of 16:41, 19 August 2020
- काष्ठा संघ की गुर्वावली के अनुसार (देखें इतिहास ) आप कुमारसेन (काष्ठा संघ के संस्थापक) के शिष्य तथा पद्मनंदि के गुरु थे। समय-वि.980, (ई.923) - देखें इतिहास /7/9।
- गुजरात के धंधुग्राम में चच्चनामक वैश्य के पुत्र थे। बचपन का नाम चंगदेव था। पाँच वर्ष की आयु में देवचंद्र गणी से दीक्षा ग्रहण की। तब इनका नाम हेमचंद्र रखा गया और सोमदेव की उपाधि से विभूषित हुए। ये श्वेतांबराचार्य थे। कृतियाँ - गुजराती व्याकरण, सिद्ध हेम शब्दानुशासन, प्राकृत व्याकरण, अभिधान चिन्मामणि कोष (हैमी नाममाला), अनेकार्थसंग्रह, देशीनाममाला, काव्यानुशासन, छंदानुशासन, प्रमाणमीमांसा, अन्ययोग व्यवच्छेद (द्वात्रिंशतिका स्याद्वाद मंजरी) अयोग व्यवच्छेद द्वात्रिंशतिका, अध्यात्मोपनिषद्, योगशास्त्र, द्वयाश्रय महाकाव्य, निघंटुशेष, वीतरागस्तोत्र, अंतरश्लोक (द्वादशानुप्रेक्षा), त्रिषष्टि पुरुष चरित। समय - ई.1088-1173। ( सिद्धि विनिश्चय/42 पं.महेंद्र) ( परमात्मप्रकाश/ प्र.74,117,A.N.Up. ( कार्तिकेयानुप्रेक्षा/ प्र.17 A.N.Up.)।