परिवेदन: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> असातावेदनीय कर्म का आस्रव । यह ऐसा विलाप हैं जिसे सुनकर श्रोता भी दयार्द्र हो जाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.93 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> असातावेदनीय कर्म का आस्रव । यह ऐसा विलाप हैं जिसे सुनकर श्रोता भी दयार्द्र हो जाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.93 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:55, 14 November 2020
असातावेदनीय कर्म का आस्रव । यह ऐसा विलाप हैं जिसे सुनकर श्रोता भी दयार्द्र हो जाता है । हरिवंशपुराण 58.93