विचिकित्सा: Difference between revisions
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<p> साधुओं को मलिन देखकर उनसे घृणा करना । इसका फल दुःखदायी होता है । दमितारि की पुत्री कनकश्री को आर्यिका से घृणा करने के कारण बहुत दुःख उठाना पड़ा था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 499-501 </span>देखें [[ निर्विचिकित्सा ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> साधुओं को मलिन देखकर उनसे घृणा करना । इसका फल दुःखदायी होता है । दमितारि की पुत्री कनकश्री को आर्यिका से घृणा करने के कारण बहुत दुःख उठाना पड़ा था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 499-501 </span>देखें [[ निर्विचिकित्सा ]]</p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें निर्विचिकित्सा ।
पुराणकोष से
साधुओं को मलिन देखकर उनसे घृणा करना । इसका फल दुःखदायी होता है । दमितारि की पुत्री कनकश्री को आर्यिका से घृणा करने के कारण बहुत दुःख उठाना पड़ा था । महापुराण 62. 499-501 देखें निर्विचिकित्सा