श्रीषेणा: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) साकेत नगर के राजा श्रीषेण तथा रानी श्रीकांता की पुत्री । हरिषेणा इसकी बड़ी बहिन थी । पूर्वभव में की हुई प्रतिज्ञा का स्मरण हो जाने से इन दोनों बहिनों ने दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.253-256, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 64.129-131 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) साकेत नगर के राजा श्रीषेण तथा रानी श्रीकांता की पुत्री । हरिषेणा इसकी बड़ी बहिन थी । पूर्वभव में की हुई प्रतिज्ञा का स्मरण हो जाने से इन दोनों बहिनों ने दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.253-256, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 64.129-131 </span></p> | ||
<p id="2">(2) जंबूद्वीप संबंधी पूर्वविदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के राजा सहस्रायुध की रानी । कनकशांत इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 63. 37, 45-46, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 5. 14-15 </span></p> | <p id="2">(2) जंबूद्वीप संबंधी पूर्वविदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के राजा सहस्रायुध की रानी । कनकशांत इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 63. 37, 45-46, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 5. 14-15 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
(1) साकेत नगर के राजा श्रीषेण तथा रानी श्रीकांता की पुत्री । हरिषेणा इसकी बड़ी बहिन थी । पूर्वभव में की हुई प्रतिज्ञा का स्मरण हो जाने से इन दोनों बहिनों ने दीक्षा ले ली थी । महापुराण 72.253-256, हरिवंशपुराण 64.129-131
(2) जंबूद्वीप संबंधी पूर्वविदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के राजा सहस्रायुध की रानी । कनकशांत इसका पुत्र था । महापुराण 63. 37, 45-46, पांडवपुराण 5. 14-15