कर्त्रन्वयक्रिया
From जैनकोष
सम्यग्दृष्टियों द्वारा अनुष्ठेय गर्भान्वय, दीक्षान्वय और कर्त्रन्वय क्रियाओं में तीसरी क्रिया । यह क्रिया सात प्रकार की है—1. सज्जाति 2. सद्गुहित्व 3. पारिव्राज्य 4. सुरेंद्रता 5. साम्राज्य 6. परमार्हंत्य 7. परमनिर्वाण । पुण्यात्मा ही इन क्रियाओं को प्राप्त करते हैं । महापुराण 38.50-53, 66-68