आष्टाह्निक
From जैनकोष
इस लोक और परलोक के अभ्युदय को देने वाली अर्हत् पूजा के चार भेदों में एक भेद । ये चार भेद हैं― सदार्चन, चतुर्मुख, कल्पद्रुम और आष्टाह्निक । इसमें नंदीश्वर द्वीप संबंधी बावन जिनालयों की पूजा की जाती है तथा यह पूजा कानून, कार्तिक और आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में होती है । महापुराण 38.26, 54.50, 70.7-8, 22