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- ...यासीजी ने ठीक ही बताया । बल्कि धर्मशाला में तो ऐसा भी हो सकता कि यदि कोई 10-5 दिन ठहरना चाहे धर्मशाला में [[ वर्णीजी-प्रवचन:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 37 | अगला पृष्ठ ]] ...18 KB (47 words) - 16:35, 2 July 2021
- ...t">सामायिक चारित्र का स्वामित्व।-देखें [[ छेदोपस्थापना#5 | छेदोपस्थापना - 5-7]]।</li> ...था अपनी प्रशंसा करने वालों में माध्यस्थ्य भाव का होना उपेक्षा कही गयी है।13-14।</span></p> ...106 KB (2,105 words) - 23:08, 16 February 2024
- ...87 KB (169 words) - 16:35, 2 July 2021
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- ...पर अथवा स्वकाल मरण होने पर क्या करे।-देखें [[ सल्लेखना#3.9 | सल्लेखना - 3.9-10]]।</ul> <span class="GRef"> भगवती आराधना/246-249 </span> <span class="PrakritText">उल्लीणोलीणेह ...253 KB (3,420 words) - 21:04, 15 February 2024
- ...चारित्र में कथंचित् एकत्व अनेकत्व। - देखें [[ मोक्षमार्ग#2 | मोक्षमार्ग - 2-3]], ।</li></ul> ...458 KB (8,108 words) - 16:35, 25 August 2024