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- ...( षट्खंडागम/6/1,9-1/ सूत्र/पृष्ठ 13/14; 15/31; 17/34;19/ 37;25/48;29/49;45/77;46/78)</span>; <span class="GRef">( षट्खंडागम 13/5,5/ </s ...चउतीसं पयडीणं बंधो णियमेण संतरो भणिओ। बत्तीस सेसियाणं बंधो समयम्मि उभओ वि।77।</span></p> ...164 KB (4,339 words) - 15:15, 27 November 2023
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- <span class="GRef">धवला 7/2, 1, 33/77/2</span> <span class="PrakritText"> इंदियविसयमइक् <span class="GRef">धवला 7/2, 1, 33/77/1</span> <span class="PrakritText">दो वा तिण्णि वा ...157 KB (2,660 words) - 15:20, 27 November 2023
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- ...निर्दोष आनंद पा लेने का अनुरोध―इस रयणसार ग्रंथ में सम्यग्दृष्टि श्रावक के 77 गुण बताये हैं―8 मूलगुण, 12 उत्त ...112 KB (35 words) - 11:57, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:भावपाहुड - गाथा 77 | पूर्व पृष्ठ ]] ...137 KB (226 words) - 11:56, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:नियमसार - गाथा 77 | पूर्व पृष्ठ ]] ...143 KB (405 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...क्कमजुत्तो उवजुत्तो सत्तभंगिंसब्भावो। अट्ठासवो णवठ्ठो जीवो दस ठाणिओ भणिदो।77। </span>=<span class="HindiText">वह जीव महात्मा ...162 KB (2,922 words) - 15:10, 27 November 2023
- ...229 KB (5,145 words) - 14:41, 27 November 2023
- ...class="GRef">(चारित्रसार/53/1)</span>; <span class="GRef">(भावपाहुड़ टीका/77/221/5 )</span>। </span><br /> ...123 KB (2,051 words) - 09:40, 16 January 2024
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- ...् । मतिरपि कुमतिर्नु दुश्चरित्रं चरित्रम् भवति मनुजजन्म प्राप्तमप्राप्तमेव।77।</span> =<span class="HindiText">जिस सम्यग्दर्श ...458 KB (8,107 words) - 19:57, 4 June 2024
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- <span class="GRef"> गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/92/77/12 </span><span class="SanskritText">तीर्थबंध असंय ...357 KB (33,626 words) - 20:09, 15 February 2024
- <span class="GRef">धवला 11/4,2,6,1/75-77/4</span> <br /> ...182 KB (3,301 words) - 17:46, 19 February 2024
- ...ेव्या विषयास्तावत्तानप्रवृत्तित:। व्रतयेत्सव्रतो दैवान्मृतोऽमुत्र सुखायते।77। </span>=<span class="HindiText">पंचेंद्रिय संब ...233 KB (4,417 words) - 21:21, 17 February 2024
- <td>77 अभयकीर्ति</td> <td>77</td> ...645 KB (29,383 words) - 14:40, 27 November 2023
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- ...िक/1/33/10/98/30)</span>, <span class="GRef">( श्लोकवार्तिक 4/1/33 श्लो.76-77/263)</span>; <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/58/48)< ...पुरंदर: शक्र इत्याद्याभिन्नगोचर:। यद्वा विभिन्नशब्दत्वाद्वाजिवारणशब्दवत् ।77। </span>=<span class="HindiText">जो विश्व को देख ...1,022 KB (19,074 words) - 14:26, 2 March 2024