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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:परमात्मप्रकाश - गाथा 21 | पूर्व पृष्ठ ]] ...112 KB (191 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...123 KB (2,051 words) - 09:40, 16 January 2024
- ...हरूप जो द्रव्यार्थिकनय है वही नैगम नय है। <span class="GRef">(कषायपाहुड़ 1/21/353/376/3)</span>। (और भी देखें [[ नय#III.3.3 | न ...1,022 KB (19,074 words) - 14:26, 2 March 2024
- ...रिक एवं बाह्य विकार रोके जा सकते हैं । <span class="GRef"> (महापुराण 18.2, 21. 225, 47.311, 48.52, 54.151-152, 62. 310-311, 63.309), </span><span class= ...157 KB (2,660 words) - 15:20, 27 November 2023
- <td>21</td> <td>21</td> ...645 KB (29,383 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...भी प्रयोगपरिणत संयुक्त भाव होते हैं वह सब विपाक प्रत्ययिक अजीवभावबंध हैं ।21। </span></li> ...183 KB (3,655 words) - 15:15, 27 November 2023
- ...हैं, हम गोहद से मऊ पैदल जा रहे थे, साथ में ब्र॰ छोटे लाल जी थे। वह करीब 2॰-21 मील का पैदल का रास्ता था। गोह ...353 KB (173 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...544 KB (154 words) - 16:35, 2 July 2021