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- [[मोक्षपाहुड़ गाथा 77 | Previous Page]] ...4 KB (48 words) - 21:33, 9 December 2013
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षपाहुड - गाथा 77 | अगला पृष्ठ ]] ...4 KB (30 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...्तक 8/3,41/85/3), ( चारित्रसार पृष्ठ 56/3); ( भावपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 77)</span></p> ...4 KB (88 words) - 20:37, 15 February 2024
- ...्तक 8/3,41/85/3), ( चारित्रसार पृष्ठ 56/3); ( भावपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 77)</span></p> ...4 KB (88 words) - 20:37, 15 February 2024
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:रयणसार - गाथा 77 | अगला पृष्ठ ]] ...4 KB (17 words) - 11:57, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:रयणसार - गाथा 77 | पूर्व पृष्ठ ]] ...4 KB (14 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...ामृत अधिकार 8/17)</span>, <span class="GRef">(भावपाहुड़ / मूल या टीका गाथा 77)</span></p> ...10 KB (201 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#77|हरिवंशपुराण - 10.77-80]] </span>देखें [[ अग्रायणीयपूर्व ...9 KB (180 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...होंति हु पत्तेक्कं सत्त सत्त कक्खजुदा। पडमं ससमाणसमा तद्दुगुणा चरमकक्खंतं ॥77॥ </p> ...अंतिम कक्षा तक उत्तरोत्तर प्रथम कक्षा से दूना-दूना प्रमाण होता चला गया है ॥77॥</p><br> ...7 KB (145 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...िसर्गशुद्धपरमानंदानुविद्धस्फुरद्विश्वाकारसमग्रबोधशुभगं कैवल्यमास्तिघ्नुते ॥77॥</span> ...9 KB (112 words) - 14:31, 26 December 2022
- ...<span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_35#71|हरिवंशपुराण - 35.71-77]] </span></p> ...6 KB (151 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...10 KB (31 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...9 KB (34 words) - 11:57, 17 May 2021
- ..."GRef"> महापुराण 2.31-33, 9.137, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 83.77, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरि ...। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#77|हरिवंशपुराण - 10.77-80]] </span>देखें [[ अग्रायणीयपूर्व ...15 KB (396 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...ं नवकोटिशुद्धं। उद्दिष्टवर्जी गुणिभिः स गीतो, विभीलुकः संसृति यातुधान्याः ।77।</span> ...13 KB (201 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...12 KB (54 words) - 18:30, 28 November 2021
- ...णखनित्रज्वलनायुधशृंगशृंगलादीनाम्। वधहेतूनां दानं हिंसादानं ब्रुवंति बुधाः ॥77॥ </p> ...33 KB (625 words) - 22:15, 17 November 2023
- ...16 KB (60 words) - 11:57, 17 May 2021
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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:पुरुषार्थसिद्धिउपाय - श्लोक 77 | पूर्व पृष्ठ ]] ...11 KB (33 words) - 11:56, 17 May 2021