क्षेत्र शुद्धि
From जैनकोष
मूलाचार/276 रुहिरादि पूयमंसं दव्वे खेत्ते सदहत्थपरिमाणं। =
लोही, मल, मूत्र, वीर्य, हाड, पीव, मांसरूप द्रव्य का शरीर से संबंध करना। उस जगह से चारों दिशाओं में सौ-सौ हाथ प्रमाण स्थान छोड़ना क्रम से द्रव्य व क्षेत्रशुद्धि है।
देखें शुद्धि 4 ।