लेश्याकर्म
From जैनकोष
चौदह पूर्वों में दूसरा अग्रायणीयपूर्व है । इस पूर्व में चौदह वस्तुओं का वर्णन है । इन वस्तुओं में से पांचवीं अच्यवनलब्धि वस्तु के बीस प्राभृत है, जिसमें कर्मप्रकृति नामक चौथे प्राभृत के चौबीस योगद्वार बताये हैं । इनमें चौदहवाँ योगद्वार लेश्याकर्म । हरिवंशपुराण - 10.81, 83 अधिक जानकारी के लिए देखें अग्रायणीयपूर्व