पल्लव विधान व्रत
From जैनकोष
इस व्रत की विधि दो प्रकार से कही गयी है - लघु व बृहत्। लघु विधि - क्रमशः १, २, ३, ४, ५, ४, ३, २, १ इस प्रकार २५ उपवास एकान्तरा क्रम से करें। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप करें। (व्रत विधान संग्रह/पृ. ५०) वर्द्धमान पुराण।
२. बृहत् विधि-बृहत् विधानसंग्रह/पृ.५०
मास |
कृष्ण |
पक्ष |
शुक्ल
|
पक्ष |
आश्विन कार्तिकज्येष्ठ आषाढ
श्रावण भाद्र |
9,13 124,7,14 4,9,8,11 13-15 4,9,8,14 9-7
|
10-11
5-7 13-14
2,12 |
14 3,123,15 9-15 |
7-8
2-3
12-13 5-7 |
कुल - ४ तेला; 7 बेला व ४८ उपवास।
नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करना चाहिए। (किशनसिंह क्रिया कोष)।