संख्या विषयक प्ररूपणाएँ
From जैनकोष
संख्या विषयक प्ररूपणाएँ
१. सारणी में प्रयुक्त संकेत सूची
अंतर्मु. |
अन्तर्मुहूर्त [आ./असं] (ध.७/२,५,५५/२६७/१) |
अनं. |
मध्यम अनन्तानन्त (ध७/२,५,११७/२८५/५) |
अनं.लो. |
अनन्तानन्त लोक (विशेष देखें - संख्या / २ / २ ) |
अनपहृत |
( देखें - संख्या / २ / १ ) |
अप. |
अपर्याप्त |
अपहृत |
प्रतिसमय एक एक जीव निकालते जाने पर विवक्षित काल के समय समाप्त हो जाते हैं और उसके साथ जीव भी समाप्त हो जाते हैं। |
असं. |
मध्यम असंख्यातासंख्यात (ध.३/१,२,१५/१२९/६) |
आ./असं. |
आवली/असं.रूप असंख्यात आवली (ध.७/२,५,५५/२६१/१) |
पल्य./अन्तर्मु. या पल्य/असं. |
पल्य / <img height="31" src="image/संख्या 002.gif"> रूप असं.आवली (ध.७/२,५,५५/२६७/१) |
उत.अव. |
उत्सर्पिणी व अवसर्पिणी |
उत्तरोत्तर असं.या सं.बहुभाग |
अपने से पूर्ववाली राशि के अवशेष उतनेवाँ भाग |
उप. |
उपशामक |
एके.+कुछ |
एकेन्द्रिय विवक्षित राशि से कुछ अधिक |
गु.स. |
गुणस्थान |
चतु. |
चतुरिन्द्रिय |
ज.प्र. |
जगत्प्रतर |
जल |
जलकायिक |
ज.श्रे. |
जगश्रेणी |
तिर्यं. |
तिर्यंच |
तेज. |
तेजकायिक |
त्री. |
त्रीन्द्रिय |
द्वी. |
द्वीन्द्रिय |
नि. |
निगोद शरीर |
प. |
पर्याप्त |
पंचे. |
पंचेन्द्रिय |
पृ. |
पृथक्त्व अर्थात् ३ से ९ तक अथवा नरक पृथिवी |
पृथि. |
पृथिवीकायिक |
वन. |
वनस्पतिकायिक |
बहु. |
बहुभाग |
बहुभाग |
राशि - <img height="35" src="image/संख्या 004.gif"> |
बा. |
बादर |
मनु. |
मनुष्य |
यो. |
योनिमति तिर्यंच |
ल.पृ. |
लक्ष पृथक्त्व |
वायु. |
वायुकायिक |
सं. |
संख्यात |
सा. |
सामान्य |
साधा. |
साधारण शरीर |
सू. |
सूक्ष्म |