उपशांत कर्म
From जैनकोष
धवला पुस्तक 12/4,2,10,2/303/5 द्वाभ्यामाभ्यां व्यतिरिक्तः कर्मपुद्गलस्कंधः उपशांतः।
= इन दोनों उदीरणा या उदय तथा बंधसे व्यतिरिक्त कर्म पुद्गलस्कंध उपशांत है।
गोम्मट्टसार कर्मकांड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 440/593/3 "यत्कर्म उदयावल्यां निक्षेप्तुमशक्यं तदुपशांतं नाम।"
= जो कर्म उदयावली विषै प्राप्त करनेकौं समर्थ न हूजे सो उपशांत कहिये।