कर्म चूर व्रत
From जैनकोष
कुल समय=2वर्ष 8 मास अर्थात् 32 मास की 64 अष्टमियों के 64 दिन,
- विधि नं. 1
- प्रथम आठ अष्टमियों के आठ उपवास;
- दूसरी आठ अष्टमियों के आठ कांजिक आहार; (भात व जल);
- तीसरी आठ अष्टमियों को केवल तंदुलाहार;
- चौथी आठ अष्टमियों को एक ग्रासाहार;
- पाँचवी आठ अष्टमियों को एक कुरछी मात्र आहार;
- छठी आठ अष्टमियों को एक रस व एक अन्न का आहार;
- सातवीं आठ अष्टमियों को एकलठाने;
- आठवीं आठ अष्टमियों को रूक्ष अन्न का आहार। ‘‘ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिने नम:’’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत-विधान संग्रह/पृ.48), (वर्धमान पुराण)।
- नं 2.-उपरोक्त क्रम में ही--
- नं.1 वाले स्थान में उपवास,
- नं.2 वाले में एकलठाना,
- नं.3 वाले में एक ग्रास;
- नं.4 वाले में नीरस भोजन;
- नं.5 वाले में एक ही प्रकार के फलों का आहार;
- नं.6 वाले में केवल चावल;
- नं.7 वाले में लाडू;
- नं.8 वाले में कांजी आहार (भात व जल) (व्रत-विधान संग्रह/पृ.95) (किशनसिंह क्रिया कोश)।