आज मैं परम पदारथ पायौ: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:01, 16 February 2008
आज मैं परम पदारथ पायौ, प्रभुचरनन चित लायौ ।।टेक ।।
अशुभ गये शुभ प्रगट भये हैं, सहज कल्पतरु छायौ।।१ ।।
ज्ञानशक्ति तप ऐसी जाकी, चेतनपद दरसायो।।२ ।।
अष्टकर्म रिपु जोधा जीते, शिव अंकूर जमायौ।।३ ।।
दौलत राम निरख निज प्रभो को उरु आनन्द न समायो ।।४ ।।