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<p class="HindiText">मतिज्ञान का एक विकल्प |</p> | |||
<span class="GRef"> (राजवार्तिक/1/16/16/64/5) </span><span class="SanskritText">प्रकृष्टविशुद्धिश्रोत्रेंद्रियादिपरिणामकारणत्वात्। एकवर्णानिर्गमेऽपि अभिप्रायेणैव अनुच्चारितं शब्दमवगृह्णाति ‘इमं भवान् शब्दं वक्ष्यति’ इति। अथवा, स्वरसंचारणात् प्राक्तंत्रीद्रव्यातोद्याद्यामर्शनेनैव अवादिम्। अनुक्तमेव शब्दमभिप्रायेणावगृह्य आचष्टे ‘भवानिमं शब्दं वादयिष्यति’ इति। उक्तं प्रतीतम्।</span> = <span class="HindiText">श्रोत्रेंद्रिय के प्रकृष्ट क्षयोपशम के कारण एक भी शब्द का उच्चारण किये बिना अभिप्राय मात्र से अनुक्त शब्द को जान लेता है, कि आप यह कहने वाले हैं। अथवा वीणा आदि के तारों को सम्हालते समय ही यह जान लेना कि ‘इसके द्वारा यह राग बजाया जायेगा’ अनुक्त ज्ञान है। '''उक्त''' अर्थात् कहे गये शब्द को जानना। (इसी प्रकार अन्य इंद्रियों में भी लागू करना)।</span><br /> | |||
<p class="HindiText"> -अधिक जानकारी के लिए देखें [[ मतिज्ञान#4.12 | मतिज्ञान - 4.12]]।</p> | |||
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मतिज्ञान का एक विकल्प |
(राजवार्तिक/1/16/16/64/5) प्रकृष्टविशुद्धिश्रोत्रेंद्रियादिपरिणामकारणत्वात्। एकवर्णानिर्गमेऽपि अभिप्रायेणैव अनुच्चारितं शब्दमवगृह्णाति ‘इमं भवान् शब्दं वक्ष्यति’ इति। अथवा, स्वरसंचारणात् प्राक्तंत्रीद्रव्यातोद्याद्यामर्शनेनैव अवादिम्। अनुक्तमेव शब्दमभिप्रायेणावगृह्य आचष्टे ‘भवानिमं शब्दं वादयिष्यति’ इति। उक्तं प्रतीतम्। = श्रोत्रेंद्रिय के प्रकृष्ट क्षयोपशम के कारण एक भी शब्द का उच्चारण किये बिना अभिप्राय मात्र से अनुक्त शब्द को जान लेता है, कि आप यह कहने वाले हैं। अथवा वीणा आदि के तारों को सम्हालते समय ही यह जान लेना कि ‘इसके द्वारा यह राग बजाया जायेगा’ अनुक्त ज्ञान है। उक्त अर्थात् कहे गये शब्द को जानना। (इसी प्रकार अन्य इंद्रियों में भी लागू करना)।
-अधिक जानकारी के लिए देखें मतिज्ञान - 4.12।