उदयाभावी क्षय: Difference between revisions
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<span class="GRef"> राजवार्तिक/2/5/3/106/30 </span><span class="SanskritText"> यदा सर्वघातिस्पर्धकस्योदयो भवति तदेषदप्यात्मगुणस्याभिव्यक्तिर्नास्ति तस्मात्तदुदयस्याभाव: क्षय इत्युच्यते।</span>=<span class="HindiText">जब सर्वघाति स्पर्धकों का उदय होता है तब तनिक भी आत्मा के गुण की अभिव्यक्ति नहीं होती, इसलिए उस उदय के अभाव को '''उदयाभावी क्षय''' कहते हैं।</span><br /> | |||
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राजवार्तिक/2/5/3/106/30 यदा सर्वघातिस्पर्धकस्योदयो भवति तदेषदप्यात्मगुणस्याभिव्यक्तिर्नास्ति तस्मात्तदुदयस्याभाव: क्षय इत्युच्यते।=जब सर्वघाति स्पर्धकों का उदय होता है तब तनिक भी आत्मा के गुण की अभिव्यक्ति नहीं होती, इसलिए उस उदय के अभाव को उदयाभावी क्षय कहते हैं।
देखें क्षय ।