कर्ण
From जैनकोष
(1) इस नाम का एक पर्वत, मृगारिदमन ने इसी पर्वत पर कर्णकुण्डल नाम का नगर बसाया था । पद्मपुराण 6.529
(2) कान । महापुराण 12.49
(3) राजा पाण्डु और कुन्ती का अविवाहित अवस्था में उत्पन्न पुत्र । कुली के कुटुम्बियों ने परिचय-पत्र, कुण्डल और रत्न-कवच सहित इसे कालिन्दी में बहा दिया था । चम्पापुर के राजा आदित्य ने इसे प्राप्त कर पालनार्थ अपनी प्रिया राधा को सौंपा था । राधा ने इसे कर्ण-स्पर्श करते हुए देख ‘कर्ण’ नाम दिया था । महापुराण 70. 109-114, हरिवंशपुराण 45.37 कु की के पिता अन्धकवृष्णि ने इसकी जन्मवार्ता कान-कान तक पहुँची हुई जान इसे कर्ण कहा था । कुरुक्षेत्र मे इसने जरासन्ध का साथ दिया था । इसकी मृत्यु कृष्ण-जरासन्ध युद्ध में अर्जुन द्वारा हुई थी । महापुराण 71. 76-77, पांडवपुराण 7.261-296, 20. 263