घ्राण: Difference between revisions
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<p class="HindiText">= इंद्रियाँ पाँच हैं ॥15॥ वे प्रत्येक दो-दो प्रकार की हैं ॥16॥ स्पर्शन, रसन, '''घ्राण,''' चक्षु और श्रोत्र ये इंद्रियाँ हैं ॥19॥</p> | |||
<p><span class="GRef">( राजवार्तिक 9/17/11/603/29 )</span></p> | |||
<span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि 2/16/179/1</span><p class="SanskritText"> कौ पुनस्तौ द्वौ प्रकारौ द्रव्येन्द्रियभावेन्द्रियमिति।</p> | |||
<p class="HindiText">= प्रश्न - वे दो प्रकार कौन-से हैं? उत्तर - द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय</p> | |||
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== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> नासिका । पाँच इंद्रियों में तीसरी इंद्रिय । इंद्रिय जय के प्रसंग में इस इंद्रिय के विषय गंध पर भी विजय प्राप्त की जाती है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_14#113|पद्मपुराण - 14.113]] </span></p> | |||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
तत्त्वार्थसूत्र 2/15,16,19
पंचेन्द्रियाणि ॥15॥ द्विविधानि ॥16॥ स्पर्शनरसनघ्राणचक्षुः श्रोत्राणि ॥19॥
= इंद्रियाँ पाँच हैं ॥15॥ वे प्रत्येक दो-दो प्रकार की हैं ॥16॥ स्पर्शन, रसन, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र ये इंद्रियाँ हैं ॥19॥
( राजवार्तिक 9/17/11/603/29 )
सर्वार्थसिद्धि 2/16/179/1
कौ पुनस्तौ द्वौ प्रकारौ द्रव्येन्द्रियभावेन्द्रियमिति।
= प्रश्न - वे दो प्रकार कौन-से हैं? उत्तर - द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय
देखें इंद्रिय - 1।
पुराणकोष से
नासिका । पाँच इंद्रियों में तीसरी इंद्रिय । इंद्रिय जय के प्रसंग में इस इंद्रिय के विषय गंध पर भी विजय प्राप्त की जाती है । पद्मपुराण - 14.113