चर्यापरीषह: Difference between revisions
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<p> पाद-त्राण की मन, वचन और काय से भी इच्छा न रखते हुए चलने मे होने वाले कष्ट को सहन करना । महापुराण 36.120</p> | <p> पाद-त्राण की मन, वचन और काय से भी इच्छा न रखते हुए चलने मे होने वाले कष्ट को सहन करना । <span class="GRef"> महापुराण 36.120 </span></p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
पाद-त्राण की मन, वचन और काय से भी इच्छा न रखते हुए चलने मे होने वाले कष्ट को सहन करना । महापुराण 36.120