चलितप्रदेश: Difference between revisions
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<span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड/592/1031 </span><span class="PrakritGatha">सव्वमरूवी दव्वं अवट्ठिदं अचलिआ पदेसावि। रूवी जीवा चलिया तिवियप्पा होंति हु पदेसा।592। </span>=<span class="HindiText">सर्व ही अरूपी द्रव्यों के त्रिकाल स्थित अचलित प्रदेश होते हैं और रूपी अर्थात् संसारी जीव के तीन प्रकार के होते हैं–'''चलित''', अचलित व चलिताचलित।</span> | |||
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Latest revision as of 16:32, 12 May 2023
गोम्मटसार जीवकांड/592/1031 सव्वमरूवी दव्वं अवट्ठिदं अचलिआ पदेसावि। रूवी जीवा चलिया तिवियप्पा होंति हु पदेसा।592। =सर्व ही अरूपी द्रव्यों के त्रिकाल स्थित अचलित प्रदेश होते हैं और रूपी अर्थात् संसारी जीव के तीन प्रकार के होते हैं–चलित, अचलित व चलिताचलित।
विस्तार के लिये देखें जीव - 4।