जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 17: | Line 17: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> परिकर्म-दृष्टिवाद श्रुत का एक भेद । इसमें तीन लाख पच्चीस हजार पदों के द्वारा जंबूद्वीप का संपूर्ण वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.62,65 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> परिकर्म-दृष्टिवाद श्रुत का एक भेद । इसमें तीन लाख पच्चीस हजार पदों के द्वारा जंबूद्वीप का संपूर्ण वर्णन है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#62|हरिवंशपुराण - 10.62]],65 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- अंग श्रुतज्ञान का एक भेद–देखें श्रुतज्ञान - III
- आचार्य अमितगति (ई.993-1016) द्वारा रचित, लोक स्वरूप प्रतिपादक, संस्कृत श्लोक बद्ध, एक ग्रंथ।
- आचार्य शक्तिकुमार (ई.श.11) द्वारा रचित लोक स्वरूप प्रतिपादक, संस्कृत श्लोक बद्ध एक ग्रंथ।
पुराणकोष से
परिकर्म-दृष्टिवाद श्रुत का एक भेद । इसमें तीन लाख पच्चीस हजार पदों के द्वारा जंबूद्वीप का संपूर्ण वर्णन है । हरिवंशपुराण - 10.62,65