जय श्री ऋषभ जिनंदा! नाश तौ करो स्वामी मेरे दुखदंदा: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:09, 29 February 2008
जय श्री ऋषभ जिनंदा! नाश तौ करो स्वामी मेरे दुखदंदा ।।टेक. ।।
मातु मरुदेवी प्यारे, पिता नाभिके दुलारे ।
वंश तो इक्ष्वाक, जैसे नभवीच चंदा।।१ ।।जय श्री. ।।
कनक वरन तन, मोहत भविक जन ।
रवि शशि कोटि लाजैं, लाजै मकरन्दा।।२ ।।जय श्री. ।।
दोष तौ अठारा नासे, गुन छियालीस भासे ।
अष्ट-कर्म काट स्वामी, भये निरफंदा।।३ ।।जय श्री. ।।
चार ज्ञानधारी गनी, पार नाहिं पावै मुनी ।
`दौलत' नमत सुख चाहत अमंदा।।४ ।।जय श्री. ।।