जरायु
From जैनकोष
(स.सि./2/33/189/12) यज्जालवत्प्राणिपरिवरणं विततमांसशोणितं तज्जरायु:। =जो जाल के समान प्राणियों का आवरण है और जो मांस और शोणित से बना है उसे जरायु कहते हैं (रा.वा./2/33/1/143/30); (गो.जी./जी.प्र./84/207/4)
(स.सि./2/33/189/12) यज्जालवत्प्राणिपरिवरणं विततमांसशोणितं तज्जरायु:। =जो जाल के समान प्राणियों का आवरण है और जो मांस और शोणित से बना है उसे जरायु कहते हैं (रा.वा./2/33/1/143/30); (गो.जी./जी.प्र./84/207/4)