तीर्थंकर परिचय सारणी page-392: Difference between revisions
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<p class="HindiText">सित्थद्धसयलचक्की सट्ठिसयं पुहवरेण अवरेण। बीसं बीसं सयले खेत्ते सत्तरिसयं वरदो।681।<br /> | <p class="HindiText">सित्थद्धसयलचक्की सट्ठिसयं पुहवरेण अवरेण। बीसं बीसं सयले खेत्ते सत्तरिसयं वरदो।681।<br /> | ||
तीर्थंकर पृथक्-पृथक् एक एक विदेह देशविषै एक एक होइ तब उत्कृष्टपनै करि एकसौ साठि | तीर्थंकर पृथक्-पृथक् एक एक विदेह देशविषै एक एक होइ तब उत्कृष्टपनै करि एकसौ साठि होइ। बहुरि जघन्यपने करि सीता सीतोदा का दक्षिण उत्तर तट विषै एक एक होइ ऐसे एक मेरु अपेक्षा च्यारि होहि। सब मिलि करि पंच मेरु के विदेह अपेक्षाकरि बीस हो है। </p></td> | ||
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- विदेहक्षेत्रस्थ तीर्थंकरों का परिचय
|
1. जयसेन प्रतिष्ठा पाठ/545-564 |
1. त्रिलोकसार/681 2. महापुराण/76/4963.जयसेन प्रतिष्ठा पाठ/565 |
||||
|
1. नाम |
2. चिह्न |
3. नगरी |
4. पिता |
5. माता |
6. विदेहस्थ तीर्थंकरों की संख्या |
1 |
सीमंधर |
ऋषभ |
पुंडरीकणी |
हंस |
|
सित्थद्धसयलचक्की सट्ठिसयं पुहवरेण अवरेण। बीसं बीसं सयले खेत्ते सत्तरिसयं वरदो।681। |
2 |
युगमंधर |
|
|
श्री रुह |
|
|
3 |
बाहु |
हरिण |
सुसीमा |
सुग्रीव |
विजया |
|
4 |
सुबाहु |
|
अबध्यदेश |
|
सनंदा |
|
5 |
संजात |
सूर्य |
अलकापुरी |
देवसेन |
|
|
6 |
स्वयंप्रभ |
चंद्रमा |
मंगला |
|
|
|
7 |
ऋषभानन |
|
सुसीमा |
|
वीरसेना |
|
8 |
अनंतवीर्य |
|
|
|
|
|
9 |
सूरिप्रभ |
ऋषभ |
|
|
|
|
10 |
विशालप्रभ |
इंद्र |
पुंडरीकणी |
वीर्य |
विजया |
|
11 |
वज्रधर |
शंख |
|
पद्मरथ |
सरस्वती |
|
12 |
चंद्रानन |
गो |
पुंडरीकणी |
|
दयावती |
|
13 |
चंद्रबाहू |
कमल |
|
|
रेणुका |
|
14 |
भुजंगम |
चंद्रमा |
|
महाबल |
|
|
15 |
ईश्वर |
|
सुसीमा |
गलसेन |
ज्वाला |
|
16 |
नेमिप्रभ |
सूर्य |
|
|
|
|
17 |
वीरसेन |
|
पुंडरीकणी |
भूमिपाल |
वीरसेना |
|
18 |
महाभद्र |
|
विजया |
देवराज |
उमा |
|
19 |
देवयश |
|
सुसीमा |
स्तवभूति |
गंगा |
|
20 |
अजितवीर्य |
कमल |
|
कनक |
|