पंकप्रभा
From जैनकोष
- पंकप्रभा नरक का लक्षण
स. सि./३/१/२०३/८ पङ्कप्रभासहचरिता भूमिः पङ्कप्रभा। = जिसकी प्रभा कीचड़ के समान है, वह पंकप्रभा (नाम चतुर्थ) भूमि है। (ति. प. /२/२१); (रा. वा. /३/१/३/१५९/१८); (ज. प. /११/११३)।
- आकार व अवस्थानादि— देखें - नरक / ५ । लोक/२।
- इसके नाम की सार्थकता
ति.प./२/२१ सक्करबालुवपंकाधूमतमातमतमं च समचरियं। जेण अव-सेसाओ छप्पुढवीओ वि गुणणामारू। = रत्नप्रभा पृथिवी के नीचे शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा.... ये शेष छह पृथिवियाँ क्रमशः शक्कर, बालु, कीचड़.... की प्रभा से सहचरित हैं। इसलिए इनके भी उपर्युक्त नाम सार्थक हैं। २१।