महाप्रभ: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 17: | Line 17: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.128 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.128 </span></p> | ||
<p id="2">(2) घृतवर द्वीप का रक्षक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.642 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) घृतवर द्वीप का रक्षक देव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#642|हरिवंशपुराण - 5.642]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) कुंडलगिरि का दक्षिणदिशावर्ती एक कूट । यह वासुकि देव की निवासभूमि है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.692 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) कुंडलगिरि का दक्षिणदिशावर्ती एक कूट । यह वासुकि देव की निवासभूमि है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#692|हरिवंशपुराण - 5.692]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
उत्तर घृतवर द्वीप का रक्षक देव–देखें व्यंतर - 4।
घृतवर समुद्र का रक्षक देव–देखें व्यंतर - 4।
कुंडल पर्वतका एक कूट देखें लोक - 5.12।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.128
(2) घृतवर द्वीप का रक्षक देव । हरिवंशपुराण - 5.642
(3) कुंडलगिरि का दक्षिणदिशावर्ती एक कूट । यह वासुकि देव की निवासभूमि है । हरिवंशपुराण - 5.692