मूर्ति: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 28: | Line 28: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: म]] | [[Category: म]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Revision as of 18:45, 7 September 2022
सिद्धांतकोष से
- भगवान् की मूर्ति- देखें प्रतिमा ।
- मूर्तिपूजा- देखें पूजा - 3 ।
- रूपी के अर्थ मूर्ति- देखें मूर्त - 1 ।
पुराणकोष से
सत्ताईस सूत्रपदों में दूसरा सूत्रपद-परमेष्ठियों का एक गुण । जो मुनि दिव्य आदि मूर्तियों को प्राप्त करना चाहता है (अर्थात् इंद्र चक्रवर्ती, अर्हंत और सिद्ध होना चाहता है) उसे अपना शरीर कृश कर अन्य जीवों की रक्षा करते हुए तपश्चरण करना चाहिए । महापुराण 39.136, 168-170