राजवृत्ति
From जैनकोष
राजा का कार्य । पक्षपात रहित होकर कुल की मर्यादा, बुद्धि और अपनी रक्षा करते हुए न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करना राजाओं की राजवृत्ति कहलाती है । महापुराण 38.281
राजा का कार्य । पक्षपात रहित होकर कुल की मर्यादा, बुद्धि और अपनी रक्षा करते हुए न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करना राजाओं की राजवृत्ति कहलाती है । महापुराण 38.281